डूसू चुनाव में नियमों के उल्लंघन पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा, छात्र नेताओं को कोई पछतावा नहीं
देवेंद्र नरेश
- 06 Nov 2025, 08:18 PM
- Updated: 08:18 PM
नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को टिप्पणी की कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के लिए चुने गए छात्र नेताओं को हाल में संपन्न हुए चुनाव के दौरान दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए ‘‘कोई पछतावा या पश्चाताप नहीं है’’ और कहा कि वे कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के दिन-प्रतिदिन के कामकाज की निगरानी नहीं कर सकता और उसका संबंध केवल चुनावों के संचालन से है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, ‘‘हम यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के दैनिक कामकाज की निगरानी करने के लिए नहीं बैठे हैं। याचिका का दायरा न बढ़ाया जाए। हमें केवल इस बात की चिंता है कि चुनाव कैसे होते हैं। अगर वे ‘रिटर्न’ दाखिल नहीं कर रहे हैं, तो विश्वविद्यालय कार्रवाई करेगा। अगर कोई भी अपना व्यवहार नहीं बदलना चाहता, तो हम क्या कर सकते हैं?’’
अदालत की यह टिप्पणी तब आई जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि डूसू के नवनिर्वाचित पदाधिकारी चुनाव के दौरान अपने द्वारा किए गए ऑडिट और व्यय की सूची दाखिल करने में विफल रहे हैं, जो चुनाव परिणामों के एक सप्ताह बाद किया जाना अनिवार्य है।
अदालत अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने डूसू चुनावों को व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने के लिए दिशा-निर्देशों और नियमों के उल्लंघन पर चिंता जताई थी।
तस्वीरों और वीडियो की जांच के बाद, पीठ ने प्रथमदृष्टया परिसर में छात्र प्रचार अभियानों के दौरान कई उल्लंघन पाए। मतदान 18 सितंबर को हुआ था जबकि मतगणना अगले दिन हुई थी।
अदालत ने पहले इस मामले में सभी सफल उम्मीदवारों को पक्षकार बनाया था। अदालत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनमें से कुछ को अदालती नोटिस नहीं दिया गया था, और एक पदाधिकारी व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष उपस्थित था।
पीठ ने पूछा, ‘‘प्रतिवादी यहां क्यों नहीं हैं?’’ पीठ ने टिप्पणी की कि उन्हें ‘‘कोई अफसोस या पश्चाताप नहीं है’’।
अदालत में मौजूद पदाधिकारी से बातचीत करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘आप कानून अपने हाथ में ले रहे हैं। मना मत कीजिए। हमने अखबार पढ़े हैं। जो हुआ उससे हम अनजान नहीं हैं। आप कानून अपने हाथ में लेंगे? इस साल और पिछले साल के आदेश का उल्लंघन करने के लिए हम आपके चुनावों को रद्द कर सकते हैं। हमें सबूत की जरूरत नहीं है। हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं।’’
अदालत ने याचिकाकर्ता को शेष छात्रों को नोटिस देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी।
इसने कहा, ‘‘हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते। उन सभी को समझाएं।’’
अदालत ने कहा था कि दिल्ली विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करने के लिए और कदम उठाने की जरूरत है कि राजधानी में छात्रसंघ चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत कोई प्रतिकूल घटना न घटे।
मनचंदा की याचिका में सार्वजनिक दीवारों को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने, विरूपित करने, गंदा करने और नष्ट करने में शामिल भावी डूसू उम्मीदवारों और छात्र संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया था।
भाषा
देवेंद्र